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J&J कंपनी 12 से 18 साल के किशोरों पर जल्द वैक्सीन टेस्टिंग करेगी, ब्रिटेन में क्रिसमस तक इसकी उम्मीद

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.58 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 32 लाख 37 हजार 845 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.93 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड ने कहा है कि वो बहुत जल्द अपने कोविड-19 वैक्सीन की टेस्टिंग शुरू करने जा रही है। शुरुआत में इसके डोज 12 से 18 साल के किशोरों को दिए जाएंगे। वहीं, ब्रिटेन की वैक्सीन टास्क फोर्स हेड ने कहा है कि देश में वैक्सीन क्रिसमस तक आ सकती है।

जॉनसन एंड जॉनसन ने क्या कहा
शुक्रवार को अमेरिका में सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की मीटिंग हुई। इसमें शामिल जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के एग्जीक्यूटिव ने कहा- हम 12 से 18 साल के किशोरों पर वैक्सीन की टेस्टिंग बहुत जल्द शुरू करने जा रहे हैं। हालांकि, सेफ्टी को लेकर हम काफी सतर्कता बरत रहे हैं। किशोरों पर वैक्सीन टेस्टिंग के बाद रिजल्ट्स का एनालिसिस होगा। इसके बाद वैक्सीन शॉट्स दूसरे लोगों को दिए जाएंगे। कंपनी ने वयस्कों यानी एडल्ट्स पर तीसरे चरण के ट्रायल सितंबर में शुरू किए थे। करीब 60 हजार लोगों को यह वैक्सीन शॉट दिए गए थे। इनका समीक्षा चल रही है। वहीं, फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक के ट्रायल भी अंतिम दौर में हैं।

ब्रिटेन में क्रिसमस से पहले वैक्सीन
‘द गार्डियन’ से बातचीत में ब्रिटेन की कोरोना वैक्सीन टास्क फोर्स की हेड केट बिन्घम ने कहा- हमें उम्मीद है कि क्रिसमस के पहले वैक्सीन हमारे पास होगी। यह सेफ होगी। इसके लिए तैयारियां बहुत अच्छी चल रही हैं और हम अब तक के नतीजों से काफी संतुष्ट हैं। हालांकि, कुछ दिक्कतें भी हैं, लेकिन इन्हें आने वाले हफ्तों में हल कर लिया जाएगा। केट ने कंपनी का नाम तो नहीं बताया, लेकिन माना जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन तैयार करने के करीब हैं। कुछ दूसरी कंपनियां भी इस पर दिन-रात काम कर रही हैं।

फ्रांस में मुश्किल जारी
फ्रांस में सरकार ने लॉकडाउन लगाया। इसके बावजूद यहां संक्रमण कम होता नजर नहीं आता। हालांकि, हेल्थ मिनिस्ट्री ने उम्मीद जाहिर की है कि इसे जल्द काबू में लाया जा सकेगा। लॉकडाउन और प्रतिबंधों का असर अगले कुछ दिनों में देखने मिल सकता है। फ्रांस में शुक्रवार को 49,215 नए केस दर्ज किए गए। इसी दौरान 256 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक यहां कुल 36 हजार 565 लोगों की मौत हो चुकी है। कुल मामले 13 लाख 31 हजार 984 हैं।

पेरिस के एक हॉस्पिटल में मरीज को वॉर्ड में शिफ्ट करने ले जाता स्टाफ। फ्रांस में एक महीने का लॉकडाउन लगाया गया है। हालांकि, फिलहाल यहां संक्रमण कम नहीं हुआ है।

इटली में दूसरी लहर
इटली सरकार ने एक बयान जारी कर माना है कि देश में संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है और अब यह घातक साबित होने लगी है। शुक्रवार को यहां कुल 31 हजार 84 मामले सामने आए। इसके पहले यानी गुरुवार को यह संख्या 27 हजार थी। यानी एक दिन में 4 हजार मामले बढ़ गए। मरने वालों का आंकड़ा भी सीधे 200 पर पहुंच गया। देश में 1765 मरीजों की हालत गंभीर बताई गई है।

बेल्जियम में कर्फ्यू
तमाम विरोध के बावजूद बेल्जियम सरकार ने साफ कर दिया है कि वो झुकने वाली नहीं है और सोमवार से देश में नेशनल लॉकडाउन से भी सख्त कर्फ्यू लगाया जाएगा। किसी भी घर में एक से ज्यादा मेहमान नहीं जा सकेगा और इसकी भी जानकारी हेल्थ अथॉरिटी को देनी पड़ेगी। स्कूलों में परीक्षाएं 15 नवंबर तक टाल दी गई हैं। वर्क फ्रॉम होम ही किया जा सकेगा। सरकारी अधिकारियों और स्टाफ को ऑफिस आने की मंजूरी दी जाएगी। लेकिन, उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए।

बेल्जियम सरकार ने साफ कर दिया है कि तमाम विरोध के बावजूद वो झुकने को तैयार नहीं है और देश में सोमवार से लॉकडाउन लगाया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स में इसे कर्फ्यू कहा गया है। हालात से निपटने के लिए देश के ज्यादातर हिस्सों में पुलिस तैनात कर दी गई।

इंग्लैंड में भी लॉकडाउन
बेल्जियम और दूसरे यूरोपीय देशों की तर्ज पर इंग्लैंड में भी लॉकडाउन की तैयारी हो चुकी है। ये अगले हफ्ते से लगाया जाएगा। हालांकि, इसका औपचारिक ऐलान बाद में किया जाएगा। खास बात ये है कि पीएम बोरिस जॉनसन की पार्टी के ही कुछ लोग विपक्ष के साथ इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जॉनसन ने अपने साइंस एडवाइजर की राय को ही तवज्जो दी है। यहां 24 घंटे में 274 नए मामले सामने आए जबकि 274 लोगों की मौत हो गई।

इंग्लैंड में सरकारी सूत्रों ने बताया है कि यहां जल्द ही लॉकडाउन लगाया जा सकता है। इसके संकेत मिलते ही यहां विरोध भी शुरू हो गया है। बर्मिंघम के एक पार्क में शुक्रवार को रैली हुई।

यूरोपीय देशों की कोशिश
यूरोपीय देशों में एक देश के मरीज दूसरे देश के अस्पतालों में शिफ्ट किए जा सकेंगे। इसके लिए स्पेशल फंड ट्रांसफर स्कीम भी लॉन्च की गई है। इसे बारे में यूरोपीय देशों ने एक समझौता किया है। फ्रांस और जर्मनी के अलावा स्पेन में भी नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसकी वजह से यहां सरकारें अलर्ट पर हैं। मरीजों को ट्रांसफर करना यूरोपीय देशों में मुश्किल भी नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर देश छोटे हैं और इनकी ओपन बॉर्डर हैं। सड़क के रास्ते भी आसानी से एक देश से दूसरे देश में जाया जा सकता है। ईयू कमिशन की हेड वॉन डेर लेन ने कहा- वायरस तेजी से बढ़ रहा है और इससे निपटने के लिए सहयोग जरूरी है। हमारी कोशिश है कि हेल्थ केयर सिस्टम पहले की तरह मजबूती से काम करता रहे।



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दुनिया के कई देशों में कोरोना वैक्सीन पर तेजी से रिसर्च और ट्रायल जारी हैं। ब्रिटेन में इसके क्रिसमस से पहले आने की उम्मीद है। वहीं, अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा है कि वो बहुत जल्द किशोरों पर इसकी टेस्टिंग शुरू करने जा रही है। (फाइल)


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